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दोनों ओर जंगल बीच रास्ता रोशनी और दिशा के साथ
दोनों ओर जंगल कहकहाता बीच रास्ता शांत
दोनों ओर जंगल चीखता बीच रास्ता विरक्त
दोनों ओर जंगल सपनों में डूबा बीच रास्ता यह विमुक्त किसी नींद से
हिलता यह दृश्य आँखों में जैसे पानी की सतह पर कोई प्रतिबिंब,
चौंकता चेहरा झुका हुआ उस पर
बंद गीली आँखों में
डबडबाती एक दुनिया,
दिशासूचक की तरह ले जाता
तुम्हारे भीतर प्रेम किसी अनजाने रास्ते पर तुम्हें
और सच कर देता है मुक्त,
खोल दो अपनी बंद हथेलियों को
हवा नहीं छुप सकती उनमें
रोशनी भी नहीं
वे खुद को ही कैद किए हुए है इस जेल में,
देखना चाहता हूँ तुम्हारा चेहरा
किसी अकस्मात से पहले

१६ जुलाई २००६

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