अनुभूति में
मोहन राणा की रचनाएँ—
नई रचनाएँ—
अर्थ शब्दों में नहीं तुम्हारे भीतर है
कोई बात
डरौआ
पतझर में
पानी का चेहरा
क्षणिकाओं में—
पाँच क्षणिकाएँकविताओं में—
अपनी कही बात
अपने आप
अस्तव्यस्त में
आरी की कीमत
एक गरम दिन की स्मृति
किताब का दिन
कुआँ
कुछ कहना
कुछ भी
चार छोटी कविताएँ
चिड़िया
चिमनी
चींटी तथा अन्य छोटी कविताएँ
टेलीफोन
तीसरा युद्ध
धोबी
पतझर एक मौसम तुम्हारे लिए
फिलिप्स का रेडियो
फोटोग्राफ़ में
बड़ा काम
बोध
माया
मैं
राख
सड़क का रंग
संकलनों में—
गुच्छे भर अमलतास -
ग्रीष्म
सनटैन लोशन
१५ मई
पिता की तस्वीर -
डाक
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तीसरा युद्ध
दुकान के कोने से आई एक आवाज
ले जाओ यह मुफ्त है!
किताबों के साये में वह दोपहर की छाया की तरह
अविचल मुझे भाँपता-
अगर चाहो तो ले जाओ वह बोला
युद्ध की पुस्तकों का सूची पत्र उलटते मुझे देख-
दूसरे महायुद्ध पर इतनी पुस्तकें
कहानियाँ संस्मरण इतिहास और चित्र-
बच्चों पर तनी बंदूकें भी हो चुकी हैं कला
काले सफेद चित्रों में -
इतने शब्द केवल एक बीते युद्ध के बारे में
अगर ऐसा फिर हो तो क्या फिर छपेंगी इतनी ही किताबें
शायद नहीं- नहीं कह कर हँस पड़ा मेरे प्रश्न पर वह-
चल रही है तैयारी फिर से-- |