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  तीसरा युद्ध

दुकान के कोने से आई एक आवाज
ले जाओ यह मुफ्त है!
किताबों के साये में वह दोपहर की छाया की तरह
अविचल मुझे भाँपता-
अगर चाहो तो ले जाओ वह बोला
युद्ध की पुस्तकों का सूची पत्र उलटते मुझे देख-
दूसरे महायुद्ध पर इतनी पुस्तकें
कहानियाँ संस्मरण इतिहास और चित्र-
बच्चों पर तनी बंदूकें भी हो चुकी हैं कला
काले सफेद चित्रों में -
इतने शब्द केवल एक बीते युद्ध के बारे में
अगर ऐसा फिर हो तो क्या फिर छपेंगी इतनी ही किताबें
शायद नहीं- नहीं कह कर हँस पड़ा मेरे प्रश्न पर वह-
चल रही है तैयारी फिर से--

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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