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१५ मई
पिता की तस्वीर - डाक

 

डरौआ

समय के बिना भी
मैं जी लूँगा समय निकालकर कहीं से
धूप के अँधेरे में

स्वागत करूँगा समयहीन ऊसर प्रदेशों में विपत्तियों के अंधड़ों का
इस बार भी,
कोई और नहीं आता उसके अलावा इस ओर

६ जुलाई २००९

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