अनुभूति में
मोहन राणा की रचनाएँ—
नई रचनाएँ—
अर्थ शब्दों में नहीं तुम्हारे भीतर है
कोई बात
डरौआ
पतझर में
पानी का चेहरा
क्षणिकाओं में—
पाँच क्षणिकाएँकविताओं में—
अपनी कही बात
अपने आप
अस्तव्यस्त में
आरी की कीमत
एक गरम दिन की स्मृति
किताब का दिन
कुआँ
कुछ कहना
कुछ भी
चार छोटी कविताएँ
चिड़िया
चिमनी
चींटी तथा अन्य छोटी कविताएँ
टेलीफोन
तीसरा युद्ध
धोबी
पतझर एक मौसम तुम्हारे लिए
फिलिप्स का रेडियो
फोटोग्राफ़ में
बड़ा काम
बोध
माया
मैं
राख
सड़क का रंग
संकलनों में—
गुच्छे भर अमलतास -
ग्रीष्म
सनटैन लोशन
१५ मई
पिता की तस्वीर -
डाक
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बड़ा काम
सोचा कई बार
और लौटा कुछ न कुछ रह जाता पीछे
सबकुछ था पर रह गया पीछे
अपने अलावा सब कुछ
मुझे कुछ करना था
तुम्हें कुछ करना चाहिए बड़ा काम
एक आवाज मुझे देती सलाह
हाँ हाँ करना चाहिए बोल पड़ता एक कोलाहल
मैं निकलता उसे करने
फिर लौटता असमंजस में
मुझे क्या करना था
करना क्या है |