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अच्छा कवि
तुम हो
एक अच्छे इंसान
बन्द रखो डिब्बे में अपनी कविताएँ
मुश्किल है थोड़ा अच्छा कवि बन पाना
कुछ तिकड़म, चमचागिरी थोड़ी
और
अच्छा पी. आर.
नहीं तुम्हारे बस का
कविताएँ अपनी
डिब्बे में बंद रखो
आलोचकों को
देनी होती
सादर केसर-कस्तूरी
संपादक को मिलना होता
कई बार
बाँधो झूठी तारीफ़ों के पुल पहले
फिर जी हुजूरी और सलाम
लाना दूर की कौड़ी
कविताओं में
१ फरवरी २०२४ |