तबादला
ख़ास कुछ नहीं
बस छा गई मन पर
दुश्चिंताएँ भरपूर
कि हो गया तबादला
अब जाना होगा
किसी और जगह
बदलेंगे
बच्चों के स्कूल
रहने का मकान
ट्रक में लादने से पहले
ठीक से बाँधना होगा
सामान
यहाँ भी
न अपना घर
न मकान
न ही ज़मीन जायदाद
कुछ भी नहीं
परिजन रिश्तेदार
सभी दूर तब
छोड़ना यह शहर
इतना पीड़ादायक भी नहीं!
बरसते पानी में
निकालकर पौधे धरती से
रोप दिए दूसरी जगह
मुरझा भी गए कुछ
शायद यही रही होगी
उनकी नियति
बेवजह
आशंकित हूँ मैं
तेज़ रफ्तार
इस समय में
मायने नहीं रखता
तबादला
लोग जैसे यहाँ
होंगे वैसे वहाँ
घर, मकान, बिजली,
पानी, फोन, दफ्तर
सभी कुछ होगा
वहाँ भी
बस हम
यहाँ से उठकर
चले जाएँगे
वहाँ!
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