अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में शैलेन्द्र चौहान की
रचनाएँ -

नई कविताएँ-
कबीर बड़
काँपते हुए
जघन्यतम
लोअर परेल

कविताओं में-
आषाढ़ बीतने पर
एक घटना
एक वृत्तचित्र: स्वतंत्रता दिवस की पूर्व-संध्या पर
क्या हम नहीं कर सकते कुछ भी
कोंडबा
चिड़िया और कवि
जीवन संगिनी

तबादला
थार का जीवट
पतंग आकाश में
भद्रावती
मूर्ख
लैंडस्केप
शब्द नहीं झरते
स्त्री प्रश्न
सुबह के भूले

संकलन में
गुच्छे भर अमलतास-मरुधरा
                -आतप
                -विरक्ति

  काँपते हुए

रोज़ मिल जाते
कहीं भी
किसी भी स्थान
दौड़ती राज्य परिवहन की
बस के पीछे
मुस्कराते
अनेक रंगरूपों में
कभी बाँध का महत्व
कहीं धरती का निजत्व
वनवासी तो कहीं किसान
विकास और प्रगति की
धनी चिता झाँकती
हल्की सफेद दाढ़ी से
इधर विकास
प्रगति उधर
राजपथ पर सदा
झूमती गाती
कितनी उत्तेजना
कितना भावातिरेक
लोकार्पण चौदह सौ पचास मेगावाट
पावर हाऊस का
एक सौ बाईस मीटर
ऊँचे बाँध का
बहुत कुछ है प्रदोलित
और कंपित
इतिहास में झाँकता, नरोडा,
भुज, गोधरा, बड़ौदा, जूनागढ़
निर्मल, निरामय इश्तहारों के भीतर।

२ जून २००८

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter