|
लोअर परेल
धागे पर धागे
धागे पर धागे
कौन-सा स्पूल
कोई करघा
वो चरखा
क्या है
न
बुना
न
उलझा,
ताना
न
बाना,
सूत गिरणी कहाँ
झाँकती ईंट-दीवारों से
धुएँदार पस्ती
दशकों से बंद
हलचल
थम चुके चर्चे
बेरोज़गारी के
साज़िशें फली-फूलीं बहुत
अरबों की सम्पत्ति
धुआँती आकृतियाँ
खो चुकीं वजूद
रेशमी सफ़ेद कुरते में
देवदूत विराजे हैं, अब
यहाँ।
२ जून २००८ |