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अनुभूति में शैलेन्द्र चौहान की
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नई कविताएँ-
कबीर बड़
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जघन्यतम
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कविताओं में-
आषाढ़ बीतने पर
एक घटना
एक वृत्तचित्र: स्वतंत्रता दिवस की पूर्व-संध्या पर
क्या हम नहीं कर सकते कुछ भी
कोंडबा
चिड़िया और कवि
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थार का जीवट
पतंग आकाश में
भद्रावती
मूर्ख
लैंडस्केप
शब्द नहीं झरते
स्त्री प्रश्न
सुबह के भूले

संकलन में
गुच्छे भर अमलतास-मरुधरा
                -आतप
                -विरक्ति

  एक घटना

उत्ताल तरंगों की तरह
फैल गया है
मेरे मन पर
सराबोर हूँ मैं
उल्लसित हूँ

झाग बन उफन रहा है
जल की सतह पर
धरा के छोर पर
छोड़ गया है निशान
क्षार, कूड़ा-करकट अवांछित

यही है फेनिल यथार्थ
गुंजार और हुंकार बन
बिखर गया है तटीय क्षेत्र में
एक प्रक्रिया, एक घटना,
एक टीस बन

ऋतुओं की तरह
बदल रहा है चोला
बैसाख सा ताप
आषाढ़ की व्यग्रता
भाद्रा की वृष्टि
शरद की शीत
और शिशिर की
कंपकंपी बन

जन्मा है धरती पर
अकलुष प्रेम

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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