अनुभूति में शैलेन्द्र चौहान की रचनाएँ -
नई कविताएँ- कबीर बड़ काँपते हुए जघन्यतम लोअर परेल
कविताओं में- आषाढ़ बीतने पर एक घटना एक वृत्तचित्र: स्वतंत्रता दिवस की पूर्व-संध्या पर क्या हम नहीं कर सकते कुछ भी कोंडबा चिड़िया और कवि जीवन संगिनी तबादला थार का जीवट पतंग आकाश में भद्रावती मूर्ख लैंडस्केप शब्द नहीं झरते स्त्री प्रश्न सुबह के भूले
संकलन में गुच्छे भर अमलतास-मरुधरा -आतप -विरक्ति
हाशिये पर लिखे शब्द अचानक उछलकर हो गए हैं बाहर पृष्ठ से
कैनवास सांध्य बेला की तरह है उदास
छिटक गए हैं रंग लैंडस्केप पर बेढंगे
फिर भी नहीं है कहीं कुछ अप्राकृतिक अस्वाभाविक
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