अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में शैलेन्द्र चौहान की
रचनाएँ -

नई कविताएँ-
कबीर बड़
काँपते हुए
जघन्यतम
लोअर परेल

कविताओं में-
आषाढ़ बीतने पर
एक घटना
एक वृत्तचित्र: स्वतंत्रता दिवस की पूर्व-संध्या पर
क्या हम नहीं कर सकते कुछ भी
कोंडबा
चिड़िया और कवि
जीवन संगिनी

तबादला
थार का जीवट
पतंग आकाश में
भद्रावती
मूर्ख
लैंडस्केप
शब्द नहीं झरते
स्त्री प्रश्न
सुबह के भूले

संकलन में
गुच्छे भर अमलतास-मरुधरा
                -आतप
                -विरक्ति

  मूर्ख

इधर जब
छूट गया मेरा
कविताएँ लिखना
देख लिया
आँखों ने बेतरह
बरबाद होना
ईराक का

कई कई अक्सों में
दुनिया का
बेकस वजूद उभरा
भयानक ग्रीष्म के बाद
अरअरा कर गिरा
दो चार बार पानी

हुए हरे पेड़ पौधे
ताजे धुले पत्तों से
टपकी बूँदें
गौरैया ने छत पर
सिंटेक्स की टंकी पर बैठ
फड़फड़ाए पंख

हमारे जरायु प्रधानमंत्री
हुए चीन रवाना
उधर दौड़ पड़े मुशर्रफ
वाशिंग्टन की ओर
न सुलझी सीमा समस्या
न थमा आतंक

हम राजनीतिक लटकों की
लपेट में चकरघिन्नी से फँसे
रह गए मन मसोस कर

क्यों हुए हम इतने मूर्ख?
बुद्धु बक्से की ढेर सारी बतकही
सुनकर नहीं लगा पाए
ठहाका एक भरपूर!

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter