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अनुभूति में शैलेन्द्र चौहान की
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आषाढ़ बीतने पर
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एक वृत्तचित्र: स्वतंत्रता दिवस की पूर्व-संध्या पर
क्या हम नहीं कर सकते कुछ भी
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तबादला
थार का जीवट
पतंग आकाश में
भद्रावती
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लोअर परेल
शब्द नहीं झरते
स्त्री प्रश्न
सुबह के भूले

संकलन में
गुच्छे भर अमलतास-मरुधरा
                -आतप
                -विरक्ति

  महाकाल

थका-थका जिस्म
बुझा चेहरा
आसमान से उतरते देवदूत
को भासता
भूमि पुत्र

निरभ्र आसमान
निष्क्रिय हवा
विचारमग्न, निराश
बैठा मोहन

संस्कृति
के मिथक
महाकाल की
महती माया
ले उड़ी
मन प्राण

अनंत यम
महाकाल के
हवन कुंड में
पंख हिलाते
गिद्धों और
काले कौओं से

ब्राम्हराक्षसों
की विकट सनातनी माया
आचमन कराती
रोज
लाखों
श्रद्धालुओं को


२८ जून २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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