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अनुभूति में शैलेन्द्र चौहान की
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शब्द नहीं झरते
स्त्री प्रश्न
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संकलन में
गुच्छे भर अमलतास-मरुधरा
                -आतप
                -विरक्ति

  प्रणय रत

मांडव के महलों जैसे
क्षत
ये कल्प वृक्ष

कब
कहाँ
कौन रहा होगा

वर्जिश
मालिश
रूमान

उकाबों के पंख झड़ते
प्रेम के अनन्य
अबूझ प्रतीकों से

अवर्णनीय रूप
रूपमती का
कहाँ-कहाँ से
प्रत्यावर्तित हो
झाँकता
कितने आइनों में

जहाज महल
उजाली बावड़ी
छप्पन महल
बाज बहादुर के
महलों से
चमकता

सहलाता
हजारों दर्शकों के
तृषित मन


२८ जून २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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