|
जय जयकार
वे खराब नहीं थे
उनकी कुछ मजबूरियाँ थीं
कुछ लोगों ने खास मंशा से
उन्हें बुराई के साँचों में ढाल दिया था और
कुछ बुराई के प्रबल आकर्षण के चलते खुद
उन साँचों में ढल गए थे
किसी भी पेशे में, समुदाय और समाज में
सब के सब बुरे नहीं होते
ज्यादातर अच्छे, कुछ बुरे होते हैं और कुछ
न बुरे होते हैं न अच्छे
मौका ए वारदात और जरूरत के हिसाब से वे
अच्छे भी हो जाते हैं और बुरे भी
इनसे धोखा होता है
जब ये बुरों के साथ कदमताल करते हैं
अच्छे लोग तनावग्रस्त हो जाते हैं
तब अपने अलावा उन्हें सब खराब नजर आते हैं
वे कमजोर होते हैं
जबकि खराब उतने मजबूत नहीं होते
यही वह बिंदु है
जब खराब लोगों की जय-जयकार होती है
साँचों में ढालने वाले मजे में होते हैं
१ फरवरी २०२३
|