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संकलन में
गुच्छे भर अमलतास-मरुधरा
                -आतप
                -विरक्ति

 

आतप

फिर फूले हैं
सेमल,टेसू, अमलतास
हुआ ग़ुल मोहर सुर्ख़ लाल
ताप बहुत है
अलसाई है दोपहरी
साँझ ढले
मेघ घिरे
धीरे-धीरे खग, मृग
दृग से ओट हुए
दुबके वनवासी
ईंधन की लकड़ी पर
रोक लगी जंगल में
वनवन भटकें मूलनिवासी
जल बिन
बहुत बुरा है हाल
तेवर ग्रीष्म के हैं आक्रामक
कैसे कट पाएँगे ये दिन
जन मन, पशु पक्षी
हुए हैं बेहाल 

१ फरवरी २०२४

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