ज़िंदगी सिर्फ़ पानी रही
हर अधूरी कहानी रही
ज़िंदगी सिर्फ़ पानी रही
साथ दर्पण ने जब तक दिया
बस तभी तक जवानी रही
खुशियाँ सारी अपाहिज मिलीं
एक पीड़ा सयानी रही
उनके खाते में शुभ लाभ है
अपनें खाते में हानि रही
सिर्फ़ संकेत बदले गए
राह फिर भी पुरानी रही
खो गई है सुबह दोस्तों
इसलिए रात, रानी रही
जिस जगह आम सड़कें नहीं
उस जगह राजधानी रही
1 जून 2006
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