हमको कोई गिला नहीं
हमने जितना खोया उतना मिला नहीं
फिर भी किसी से हमको कोई गिला नहीं
अभी-अभी तूफ़ान यहाँ से गुज़रा है
लेकिन उससे पत्ता भी तो हिला नहीं
काँटे उग आए इंसानी पेड़ों पर
अपनेपन का फूल एक भी खिला नहीं
नक़्शे हैं तैयार सुनहरे दिन वाले
मगर अभी तक शुरू कोई सिलसिला नहीं
हम उन राहों पर चलने के आदी हैं
जिस पर अब तक चला कोई क़ाफ़िला नहीं
1 जून 2006
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