एक दुश्मन
एक दुश्मन बहुत पुराना है।
जिसका अंदाज़ दोस्ताना है।।
कोई कश्ती नहीं किनारे पर।
हमें अब तैरकर ही जाना है।।
सारी दुनिया टटोल ली हमने।
अब खुदा को भी आज़माना है।।
कैद में जी रहा है जो पंछी।
उसे अब और क्या सताना है।।
हमने सूरज से दोस्ती कर ली।
किसी दिन साथ डूब जाना है।।
मौत के पास कौन जाता है।
एक दिन मौत को ही आना है।।
गीत ग़ज़लों की अलग है दुनिया।
इनका अपना अलग घराना है।।
बात दुनिया की सुनी है अब तक।
आज अपनी उसे सुनाना है।।
हमारा कौन बचा दुनिया में।
हमें अब किसकी कसम खाना है।।
हमें यायावर नहीं समझ लेना।
हमारे पास एक ठिकाना है।।
१६ मार्च २००९ |