गीता हो रहीम के घर
गीता हो, रहीम के घर में, रामू पढ़े कुरान
जो मस्जिद का खुदा, वहीं है मंदिर में भगवान
एक हमारी धरती हमको मिला एक आकाश
सूरज बाँट रहा सबके घर, नूतन नित्य प्रकाश
जात-पात के बंधन, हमको बाँध नहीं पाए
स्वयमेव जागा है ऐसा, जन मन में विश्वास
रंग बिरंगी फुलवारी-सा, अपना हिंदुस्तान
जो मस्जिद का खुदा, वहीं है मंदिर में भगवान
अब्दुल के हाथों में, राधा ने बाँधी राखी
हमने जगह-जगह भेजे हैं शांति के पाँखी
भिन्न धर्म की सरिताएँ है, फिर भी जल है एक
ऐसे अपनेपन की देखी, कहीं नहीं झाँकी
गुरुद्वारा या गिरजा घर हो सबका है सम्मान
जो मस्जिद का खुदा, वहीं है मंदिर में भगवान
सब धर्मों का सार, सभी इंसान बराबर हैं
सबके लिए एक आँगन पर अलग-अलग घर है
भाषाएँ हो अलग प्यार की, भाषा फिर भी एक
हम सब बहते हुए नीर पर, हस्ताक्षर भर हैं
एक तिरंगा एक हमारा जन-गण-मन का गान
जो मस्जिद का खुदा, वहीं है मंदिर में भगवान
16 अगस्त 2006
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