अब आए बादल
प्यासी धरती बहुत दिनों से, अब आए बादल।
सारा जंगल झूम उठा है मोर हुए पागल।।
सोई नदियाँ जाग उठी हैं,
बहती इठलाती।
जलधारा बजती सितार-सी,
झूम-झूम गाती।।
हरा भरा हो गया धरा का मटमैला आँचल।
प्यासी धरती बहुत दिनों से, अब आए बादल।।
बूँदें जैसे हों जलपरियाँ,
नाचें हौले से।
इंद्रधनुष के रंग गगन के,
निकले झोले से।।
सहसा झनक उठी गोरी के पाँवों की पायल।
प्यासी धरती बहुत दिनों से, अब आए बादल।।
आसमान से बरस रहा है,
खेतों में सोना।
हर किसान ने शुरू कर दिया,
सुख सपने बोना।।
उपवन में फिर शुरू हो गई फूलों की हलचल।
प्यासी धरती बहुत दिनों से, अब आए बादल।।
-सजीवन मयंक
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