दीये का वक्तव्य
दिया रात भर जला अकेला
उससे हठी पवन तब बोला
शायद तू नादान अभी है
भले बुरे का ज्ञान नहीं है
ज्योंही होगी सुबह तुझे सब भूल जाएँगे
याद रहा तो आकर तुझको फूँक जाएँगे
इसलिए व्यर्थ ही देह मत जला
सोजा
दिया ज़ोर से हँसा और फिर बोला।
सो तो जाऊँ लेकिन सूरज
कल सबसे ये बात कहेगा।
एक रात भर जल पाने की दीये की
औकात नहीं है
जबकि ऐसी बात नहीं है।
इसीलिए उसके आने पर
टा-टा करके मैं बुझ जाता
लेकिन मेरे आने तक तो
जाने कब सूरज सो जाता।
1 जून 2006
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