जीवन क्या है
रात पूछती
जीवन क्या है...
उत्तर दूँ इसके पहले ही
उषा के कलरव में जीवन चहक उठा।
सागर की लहरों ने पूछा
जीवन क्या है...
बतलाने के पूर्व किसी धारा की चाहें
डूब गई गहराई में।
फूल पूछते मूलों से
जीवन क्या है...
उत्तर देने के पूर्व कली
खिलखिला उठी।
पूछ रहा हूँ मैं उनसे ही
जीवन क्या है...
उत्तर खोजूँ इसके पहले
कफ़न देह पर लिपट गया है।
जीवन क्या है...
जीवन क्या है...
1 जून 2006
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