अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में रामेश्वर कांबोज हिमांशु की रचनाएँ--

अंजुमन में—
अंगार कैसे आ गए
अधर पर मुस्कान
आजकल
इंसान की बातें
ज़िंदगी की लहर
मुस्कान तुम्हारी

हास्य व्यंग्य में—
कर्मठ गधा
कविजी पकड़े गए

पुलिस परेशान

दोहों में—
गाँव की चिट्ठी
वासंती दोहे

कविताओं में—
ज़रूरी है
बचकर रहना
बेटियों की मुस्कान
मैं घर लौटा

मुक्तकों में—
सात मुक्तक

क्षणिकाओं में—
दस क्षणिकाएँ

गीतों में—
आ भाई सूरज
आसीस अंजुरी भर
इस बस्ती मे
इस शहर में
इस सभा में
उजियारे के जीवन में

उदास छाँव
उम्र की चादर की
कहाँ गए
गाँव अपना
तुम बोना काँटे
दिन डूबा
धूप की चादर
धूप ने
लेटी है माँ

संकलन में—
नई भोर
नया उजाला

  लेटी है माँ

आँगन के बीचों-बींच
सफ़ेद बुर्राक कपड़ों में
लेटी है माँ।
माँ, जिसकी बातें-
भोर की हवा
कुदकती अमराइयों में
बौर को सहलाती गुनगुनाती।
माँ, जिसका स्पर्श-
परियों की कथा सुनते बच्चे
अपने उलझे बालों में
महसूसते,
जिद्दी बच्चों की रुलाई
हथेलियों में डूब जाती
और फूट पड़ती
भुट्टे के दानों-सी हँसी।

माँ, जिसकी आँखों में-
सातों समुंदर का पानी था
सारे समंदर
तैरकर पार किए थे माँ ने
थकान को निगलते हुए।
माँ, जिसके जीवन का
कोई किनारा नहीं था
था सिर्फ़ सीमाहीन अंधकार

माँ थी-
बहुत दूर टिमटिमाती रोशनी
वही रोशनी नहा-धोकर
लेटी है आँगन में।
और मेरी बड़ी बहिन!
बुत बनी बैठी है
आँखों की चमक गायब है
क्षितिज तक फैला है रेगिस्तान
न ही किसी काफ़िले का
दूर तक नामोनिशान,
सोचता हूँ- इसकी आँखों के लिए
कहाँ से लाऊँ चमक?
कहाँ से लाऊँ सूरज-धुली मुस्कान?
और मेरी छोटी बहिन!
उसके सिर का आकाश
लेटा है आँगन में
उसकी हिचकियाँ, उसके आँसू
लगता है कायनात को डुबो देंगे
उसका ज़र्द चेहरा
साक्षात पीड़ा बन गया है
कहाँ से लाऊँ मैं आकाश,
जिसे उसके सिर पर ढक दूँ?
कहाँ से लाऊँ वे हथेलियाँ,
जो उसके आँसू सोख लें?

उँगलियाँ उलझे बालों को सुलझा दूँ
जो परियों की कहानी सुनाती माँ बन जाएँ,
उसके ज़र्द चेहरे पर, गुलाब खिला दें।
कहाँ से लाऊँ वह मीठी नज़र?
वह तो लेटी है- निश्चिंत होकर आँगन में।
मैं?
भाई से तब्दील हो रहा हूँ
अचानक सफ़र पर निकले पिता में
आँगन में लेटी माँ में
ताकि लौटा सकूँ - जो चला गया
जो लौटा सकता है - आँखों की चमक
चेहरों के ओस नहाए गुलाब
बड़ी से बड़ी कीमत पर।

९ मई २००५

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter