| बेटियों 
                  की मुस्कान
 बेटियों की मुस्कान–
 जैसे गूँज उठा
 भोर में साम -गान
 जैसे वन में तिरती
 बाँसुरी की तान
 जैसे भरी दुपहरी में बरगद की छाया
 जैसे लू के बाद
 बह उठी शीतल बयार ।
 मत 
                  छीनो यह मुस्कानइसके छिन जाने पर
 रूठ जाएँगी ऋचाएँ,
 डूब जाएँगे सातों स्वर,
 रूठ जाएगी शीतल छाया,
 बयार बनेगी
 अंगारों की बौछार
 झुलस जाएगी सारी सृष्टि ।
 24 जून 
                  2007 |