| इंसान की बातें आदमी को चुभ रही इंसान की बातेंआज लगती तीर-सी ईमान की बातें
 जो किनारों पर रहे तूफ़ान के डर 
                  सेआज वे करने लगे तूफ़ान की बातें
 हर दिन बाज़ार में काम उनका 
                  बेचनाहर जगह भाती उन्हें दूकान की बातें
 जो अर्से तक रहे यहाँ अर्दली 
                  बनकरआज वे करने लगे पहचान की बातें
 भूख से दम तोड़ती चिथड़ों बँधी 
                  गठरीपेट क्या उसका भरें भगवान की बातें
 यार से पूछी कुशल घर-गाँव की 
                  हमनेउसने कही लाश की, किरपान की बातें
 १८ जनवरी २०१०     |