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अनुभूति में रामेश्वर कांबोज हिमांशु की रचनाएँ--

अंजुमन में—
अंगार कैसे आ गए
अधर पर मुस्कान
आजकल
इंसान की बातें
ज़िंदगी की लहर
मुस्कान तुम्हारी

हास्य व्यंग्य में—
कर्मठ गधा
कविजी पकड़े गए

पुलिस परेशान

दोहों में—
गाँव की चिट्ठी
वासंती दोहे

कविताओं में—
ज़रूरी है
बचकर रहना
बेटियों की मुस्कान
मैं घर लौटा

मुक्तकों में—
सात मुक्तक

क्षणिकाओं में—
दस क्षणिकाएँ

गीतों में—
आ भाई सूरज
आसीस अंजुरी भर
इस बस्ती मे
इस शहर में
इस सभा में
उजियारे के जीवन में

उदास छाँव
उम्र की चादर की
कहाँ गए
गाँव अपना
तुम बोना काँटे
दिन डूबा
धूप की चादर
धूप ने
लेटी है माँ

संकलन में—
नई भोर
नया उजाला

  कहाँ गए

कहाँ गए
वे लोग
इतने प्यार के
पड़ गए
हम हाथ में
बटमार के।
मौत बैठी
मार करके कुण्डली
आस की
साँझ न जाने
कब ढली
भेजता पाती न मौसम
है खुले पट
अभी तक दृग द्वार के।

बन गई सुधियाँ सभी
रात रानी
याद आती-
बात बरसों पुरानी
अब कहाँ दिन
मान के, मनुहार के।

गगन प्यासा
धूल धरती हो गई
हाय वह पुरवा
कहाँ पर सो गई
यशोधरा-सी
इस धरा को छोड़कर
सिद्धार्थ-से
बादल गए
इस बार के।

१ जनवरी २००५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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