|
|
|
रूप रस
गंधों वाले दिन |
---------- |
लौट आए भटके-भूले
रूप, रस,
गंधों वाले दिन
फूल गाते हैं मीठे गीत
नदी का मधुर, सुगम संगीत
हवा के मनमोहक हैं नृ्त्य
महकते छंदों
वाले दिन।
रूप, रस,
गंधों वाले दिन
धूप की नजरें उट्ठी आज
बनी हैं बातें बिन आवाज
गले से ऊपर सब डूबे
नए अनुबंधों
वाले दिन
रूप, रस,
गंधों वाले दिन
चाँदनी तिरछे करती होंठ
चाँद के मन को रही कचोट
युगों की मरजादों से दूर
टूटते बंधों
वाले दिन
रूप, रस,
गंधों वाले दिन
- शशिकांत गीते |
|
|
इस सप्ताह
गीतों में-
अंजुमन में-
छंदमुक्त में-
हाइकु में-
पुनर्पाठ में
पिछले सप्ताह
२ मार्च ९०१५ के
होली विशेषांक
में
गीतों में-
अनुराग तिवारी,
अरविंद चौहान,
आदर्शिनी श्रीवास्तव,
आभा
सक्सेना,
अश्विनी कुमार विष्णु,
कमलेश कुमार दीवान,
कुमार गौरव अजीतेन्दु,
कुमार रवीन्द्र,
कृष्णनंदन मौर्य,
निर्मला जोशी,
पद्मा
मिश्रा,
प्रदीप शुक्ल,
पवन प्रताप
सिंह पवन,
पूर्णिमा वर्मन,
मधु
शुक्ला,
मनोज जैन मधुर,
रणवीर भदौरिया,
रविशंकर मिश्र रवि,
राजेन्द्र मिश्र,
रामशंकर वर्मा,
वेद
शर्मा,
शशि
पुरवार,
शुभम श्रीवास्तव ओम,
श्रीकांत मिश्र कांत,
संजीव
सलिल,
सीमा
अग्रवाल,
सुरेश
पंडा,
सुवर्णा शेखर,
त्रिलोक सिंह ठकुरेला।
दोहों में-
अशोक
रक्ताले,
कल्पना मिश्रा बाजपेयी,
ज्योत्सना शर्मा,
परमजीत कौर रीत,
रमेश
गौतम,
संदीप सृजन,
सरस्वती माथुर,
रघुविंद्र यादव (कुंडलिया)
छंदमुक्त में-
उर्मिला शुक्ल,
परमेश्वर फुँकवाल,
पीयूष
पाचक,
मंजुल भटनागर,
रेखा
मैत्र।
अंजुमन में-
कल्पना रामानी,
वीसी राय
नया
| |
अंजुमन
। उपहार
।
काव्य संगम । गीत ।
गौरव
ग्राम ।
गौरवग्रंथ
। दोहे ।
पुराने अंक । संकलन
। हाइकु
अभिव्यक्ति । हास्य
व्यंग्य ।
क्षणिकाएँ
।
दिशांतर
। नवगीत
की पाठशाला |
© सर्वाधिकार सुरक्षित अनुभूति व्यक्तिगत
अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी
रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास
सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके
किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका
प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है। |
|
Loading
|
|
प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना
निदेशन : अश्विन गांधी संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन :
पूर्णिमा वर्मन
सहयोग :
कल्पना रामानी
|
|
|
|
|
|