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गंध की बाँह रंग

रंगे गुलाल से गाल
नर्तकी हो गई लालम लाल
आज फिर होली में

खूब चल रहा रंग
ट्रकों पर गूँज रही है चंग
उठ रहे हाथ बज रहे थाप
मंजीरा हारमोनियम साथ
हवा में उड़े असीम उमंग
टोलियाँ करती सबको दंग

ढोलची, बजा मिलाकर ताल
आज फिर होली में

जमे हुए हैं लोग
भीड़ में गुझिया मोहन भोग
रंग, पिचकारी, रोली, सूत
बड़कुले, मूँग, बताशे, फूल
दुकानें जगमग सभी सुयोग
शोर हंगामे नये प्रयोग

सड़क पर, जम कर हुआ धमाल
आज फिर होली में

चना निमोना साग
घरों में ताजे गुड़ के पाग
भूलकर गए साल की रार
बाँटते ठंडाई के दाँव
तापते होली वाली आग
और सब हिल-मिल गाएँ फाग

कसम से, ऐसा हुआ कमाल
आज फिर होली में

- पूर्णिमा वर्मन
२ मार्च २०१५

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