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तोड़के हर दीवार मिलो

तीज मिलो, त्योहार मिलो
तोड़के हर दीवार मिलो

तड़क-भड़क चतुराई वाले
रंग फेंकना छोड़ो
पिघलाओ पहले कलुष हृदय का
बँधी गाँठ तो खोलो
तन का मिलना नहीं जरूरी
मन के खोल किवाड़ मिलो

चीख रही बाहर महँगाई
भारी मन है दुखी कनस्तर
कब तक ओढें और बिछाएँ
त्योहारों के खाली बिस्तर
बेशर्मी के कसे मुखौटे
अब तो इन्हें उतार मिलो

- रणवीर भदौरिया
२ मार्च २०१५

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