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फागुन आया

मौसम नव परिधान में आया
नव रंग में संसार नहाया
ये कैसा मधुमास है आया
फागुन आया फागुन आया

सुरभित हुई धरा की काया
महामोहनी राग सुनाया
परिवर्तित है जग का आनन
अंतर्मन वृन्दावन कानन
दूब ह्रदय की हुई हरीली
तन की बंसी हुई सुरीली
चंद्र किरण ने सागर चूमा
सूरज उतरायण में घूमा

जग सारा अचरज से पूछे
रज-कण को किसने नहलाया

इंद्रधनुष से लिया कटोरा
वसुधा ने हर रंग बटोरा
लोलित रवि की प्रथम किरण से
रंग बैगनी लिया सुमन से
सरसों से रंग पीला माँगा
नदियों से रंग नीला माँगा
धवल रंग दे चली ज्योत्स्ना
शशि कहे मुझसे क्या सोचना

इन अद्भुत रंगों में रंगकर
धरती ने अंगराग लगाया

- आदर्शिनी श्रीवास्तव
२ मार्च २०१५

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