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होली के रंग

होली के रँग छाएँगे
कोई न हो उदास
मौसम ही सब समाएँगे
कोई न हो उदास

नदियाँ ही रँग लाई हैं
तितली के पँखों से
ध्वनियाँ मधुर सुनाई दें
पूजा के शंखों से
पँछी भी चहचहाएँगे
आ जाये आस पास
होली के रँग छाएँगे
कोई न हो उदास

पुरवाईयों ने बाग-बाग
पात झराये
बागों से उड़ी खुशबूओं ने
भँवरे बुलाये
अमिया हुई सुनहरी
मौसम का है अंदाज
बोली के ढंग आएँगे
कोई न हो उदास

- कमलेश कुमार दीवान
२ मार्च २०१५

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