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रंग होली का

रंग होली का तेरे गालों पे आया होता
मैंने जो नग़मा मोहब्बत का सुनाया होता

हाथ अगर मैंने तेरी ओर बढ़ाया होता
तूने झट चेहरा हथेली में छिपाया होता

तेरी आँखों में दीवाली सी चमकती होती
मैंने गर होली पे आ रंग लगाया होता

मुझको भी होली पे इक दिन की तो छुट्टी मिलती
डिग्रियों ने जो कहीं 'जॉब' दिलाया होता

आज महफ़िल में जो तू झूम के "नाची होती"
मेरी ग़ज़लों ने 'नया' रंग जमाया होता

- वी. सी. राय 'नया'
२ मार्च २०१५

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