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फाग गीत गाएँ

रंग जाती जीवन को फागुनी हवायें
आओ हम मिल कर के
फाग गीत गायें

फूलों की
क्यारी में सज उठे पलाश
भौंरों की गुनगुन मकरंद की तलाश
नयनों के मन भाया बासन्ती रूप
सोने की पिचकारी ले आई धूप
एक बार रंगों में
डूब डूब जायें।

है मिठास
गुझियों की, काँजी की प्यास
प्रियतम से मिलने की जाग रही आस
कलियों की पाती है भँवरों के नाम
तितली के संदेशे भूल रहे गाँव
फागुन की मस्ती में
प्रेम पग बढ़ायें।

- आभा सक्सेना
२ मार्च २०१५

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