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खेलें सब रंग

प्रेम पगे, रंग लगे, भीगे अंग अंग
मन का उल्लास जगे, खेलें सब रंग

पीला रंग सरसों से ले कर
टेसू से ले लाल
हरियाली पत्तों से लेकर
मैने रचा गुलाल
कुदरत के रंगों में खो जा
ना रह तू बेरंग
प्रेम पगे, रंग लगे, भीगे अंग अंग।

गुझिया की है गमक बिखरती
हर घर, हर आँगन
बाँटो खुशियाँ मिल जुल कर सब
दुखे न कोई मन
गायें फाग आज सब हिल मिल
थिरकें खा के भंग।
प्रेम पगे, रंग लगे, भीगे अंग अंग।

- अनुराग तिवारी
२ मार्च २०१५

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