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फागुन में

गीत भजन औ गाने फागुन में
जाम और पैमाने फागुन में

सुधियों की अँगड़ाई लेकर
बुधिया गाँव गई
दोपहरी ने घूँघट काढ़ा
तो फिर छाँव हुई
जंगल बाँस बहाने फागुन में

दक्खिन टोला चमरौटी में
फाग मृदंग बजे
पायल की रुन-झुन पर
भौजाई खूब मजे
चुप-चुप कोई बोल रहा
सिरहाने फागुन में

तेरे-मेरे इनकी-उनकी
चुटकी रास नहीं
संग-संग बैठे हम सब
पर कोई बात नहीं
तो फिर कैसे कोई लगा
बहकाने फागुन में

रीति रिवाजों से हम अपने
इतने बदल गये
रिश्ते नाते सम्बंधों को
घर में भूल गये
पश्चिम की वो हवा लगी
बतियाने फागुन में

- राजेन्द्र मिश्र
२ मार्च २०१५

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