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टेसू के फूलों पर

टेसू के फूलों पर गदराई लाली
फगुनाये मौसम की
बात है निराली

जारी है मौसम का बासंती दौरा
भोला सा आम हुआ मस्ती में बौरा
टेर रही कोयल को
कोयलिया काली

भैय्या का संदेशा जबसे है आया
चौरे पर तुलसी का बिरवा हरियाया
देवर को भली लगे
भौजी की गाली

दौड़ पड़ी मेंड़ घुसी सरसों के अँगना
लिपट लिपट मटर मुई पहनाये कँगना
कनबतियाँ करती हैं
गेंहूँ की बाली

- डॉ. प्रदीप शुक्ल
२ मार्च २०१५

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