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दुनिया के रंग अजीब

ये दुनिया है
दुनिया के रंग आजीब
कोई खरबपति
कोई गरीब
ऐसे में राजनीति के रंग
बड़े खलते हैं
कमबख्त गिरगिट की तरह
बदलते है
आइये मंत्री जी के पास
चलते हैं
इनके रंग निराले हैं
सफेद वस्त्र, लाल मुँह
मगर हाथ काले हैं
सिनेमा वाले सबसे अनूठे हैं
रंगों के साथ खुद भी झूठे हैं
अब डालें
होली के रंग में भंग
गरीब किसीन मजदूर का
सदा एक ही रंग
धँसी आँखें,
पिचका पेट, जेब तंग
होली पर
ये रंग बड़ा खलता है
जब गरीब किसान
होली पर रंग नहीं
बस हाथ मलता है

- पीयूष पाचक
२ मार्च २०१५

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