वक्त की दरियादिली
वक्त की दरियादिली है कल दिखाई दे
न दे
वो कली जो अब खिली है कल दिखाई दे न दे.
जब कहीं आये नजर तो देख लेना गौर से
पीठ गैरत की छिली है कल दिखाई दे न दे.
घर बिखरने टूटने की हैं उधर तैयारियां
शाम को चौखट हिली है कल दिखाई दे न दे.
सच बताने के लिए जिसको बुलाया जायगा
जीभ उसकी भी सिली है कल दिखाई दे न दे
झूमती तितली महकते मुस्कुराते फूल से
आज बगिया में मिली है कल दिखाई दे न दे.
२४ मई २०१०
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