शोर भारी हो रहा है
शोर भारी हो रहा है हम कहें तो
क्या कहें?
भीड़ में कुछ खो रहा है हम कहें तो क्या कहें?
बाग में बैठी हुई हैं बन्दरों
की टोलियाँ,
और माली सो रहा है हम कहें तो क्या कहें?
घर उजड़ता देख कर हँसते रहे जो
देर तक,
साथ उनके वो रहा है हम कहें तो क्या कहें?
लोग कैसे शातिरों को रहनुमा
कहने लगे,
झूठ को सच ढो रहा है हम कहें तो क्या कहें?
हाथ में उसके जमीं आई न आया
आसमाँ,
एक बादल रो रहा है हम कहें तो क्या कहें?
१४ दिसंबर २००९ |