देखना चाहें इधर
देखना चाहे इधर तो मुस्करा कर देख,
फिर घड़ी भर के लिये सब कुछ भुला कर देख।
बज उठेंगे साज़, सरगम छेड़ देगी
साँस
प्यार का बस एक नगमा गुनगुना कर देख।
किस कदर बेचैन रहता है अकेला
चाँद,
चाँदनी में तू किसी दिन साथ आकर देख।
खुशनसीबी बिन बुलाये थाम लेगी
हाथ,
मुश्किलों के बीच खुद को आज़मा कर देख।
घाव सहने का हुनर आ जाएगा
तुझको,
चल किसी के घाव पर मरहम लगा कर देख।
सादगी से आ बसे सब देवता इस
पार,
एक गंगा गाँव में भी है नहा कर देख।
१४ दिसंबर २००९ |