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हाथ गैरों से
मिलाया
हाथ गैरों से मिलाया आप तो ऐसे न थे,
क्या कहा, क्या कर दिखाया आप तो ऐसे न थे।
कश्तियाँ डूबीं अगर तो भूल थी मझधार की,
काम साहिल का बताया आप तो ऐसे न थे।
भेड़िया जिन बस्तियों के पास तक आया नहीं,
रात भर उनको जगाया आप तो ऐसे न थे।
दोस्तों की पीठ में खंजर उतारे और फिर,
दोस्ती का हक जताया आप तो ऐसे न थे।
शोख वादों की, वफा की, सादगी की आड़ में,
लूटना किसने सिखाया आप तो ऐसे न थे।
१४ मई २०१२
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