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नये वर्ष
कुछ ऐसे आना
रह रह खुशियाँ बरसें
1
रहे न कोई भूखा-नंगा
रहे न दुःख का मारा
सब में जगें नई आशाएँ
दूर हटे अंधियारा
रात -दिवस
उत्सव जैसे हों
सबके जीवन हरसें
1
भय, आतंक, निराशा, छल से
मुक्त रहे जग सारा
करें प्रेम का बीजारोपण
पनपे भाईचारा
कभी अभाव
न हो जीवन में
कभी न जन-मन तरसें
1
चलता रहे प्रगति का पहिया
सब ही मंजिल पायें
सबके ही सपने पूरे हों
सब मिल मंगल गायें
सारा विश्व
एक घर सा हो
सुख की फसलें सरसें
1
- त्रिलोक सिंह ठकुरेला |
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पीर कम होगी घटाओं की
भीर कम होगी फिजाओं की
भेड़िये नहिं दिखें
मानव खाल में
है मुझे उम्मीद
अबकी साल में
1
न्याय निर्बल को मिलेगा कल
कट सकेंगे वेदना के पल
हादसों से मुक्त हों राहें
काल गति से कर सके ना छल
1
अगन कम होगी बयानों की
ठिरन कम होगी सयानों की
आएगी तेजी वतन
की चाल में
है मुझे उम्मीद
अबके साल में
1
ठिठुरते तन को मिले कम्बल
देह को कुछ तो मिले सम्बल
कठिन हैं जो प्रश्न ऋतुओं के
समय उनके लाएगा कुछ हल
1
गलन कम होगी हवाओं की
थकन कम होगी दिशाओं की
फूल मुस्काएँगे
हर इक हाल में
है मुझे उम्मीद
अबके साल में
1
- भावना तिवारी |