उत्सव नव वर्ष का
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अभिव्यक्ति तुक-कोश

२४. १२. २०१५

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कुण्डलिया हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला रचनाकारों से

 

बीत गया वर्ष

 

वर्ष भर नव वर्ष हो

 

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छू सकता था,
लेकिन छुआ नहीं कि-
राख बनकर
कहीं कोई सो रहा है
सुन सकता था,
लेकिन सुना नहीं कि-
कहीं कोई
ज़ोर-ज़ोर रो रहा है
निहार सकता था,
निहारा लेकिन नहीं कि-
दरिया में
कोई पुरानी घाव धो रहा है
सूँघ सकता था,
रुचा नहीं लेकिन कि
काँटो के संग
कोई महक बो रहा है
कर सकता था
बहुत कुछ
लेकिन
कुछ किया कहाँ
बीता पूरा वर्ष,
रत्ती भर जिया मैं कहाँ ?

- जयप्रकाश मानस
  बदलने पड़े
खूँटी पर टँगे कुछ कैलेंडर
विगत वर्ष फिर न आएगा
भूत के आमाशय में समा जो गया
जो बोया है वही ये नया वर्ष लौटाएगा
समय की माप नहीं
हर क्षण-हर वस्तु, व्यक्ति
नित नवीन, कुछ भी नहीं प्राचीन
चेतना हर कण की ले रही विस्तार
हर पल नया ही है
हम विगत वर्षों की भूलों से
नई कुछ सीख लें
करें आरम्भ ऐसे कि
नहीं फिर अंत हो
नव वर्ष का
हर पल रहे उत्साह में, उल्लास में
उत्सव भरा अंतरजगत हो
तेजमय, ज्ञानमय, निर्वाणमय
गतिमान हों सोई हुईं शुभ शक्तियाँ
अपना दीपक खुद बनें
खुद जलें, फिर चलें
हर एक पल-क्षण
नित नया और
वर्ष भर नव वर्ष हो

- उमेश मौर्य
उत्सव नव वर्ष का

गीतों में-

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अश्विनीकुमार विष्णु

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आकुल

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उमाप्रसाद लोधी

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पद्मा मिश्रा

दोहों में-

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ज्योतिर्मयी पंत

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रघुविन्द्र यादव

अंजुमन में-

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कल्पना रामानी

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सुरेन्द्रपाल वैद्य

छंदमुक्त में-

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अमृता प्रीतम

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उमेश मौर्य

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जयप्रकाश मानस
 


प्रिय मित्रो, १५ दिसंबर से १४ जनवरी तक हम नव वर्ष का उत्सव मनाएँगे
हर रोज नव वर्ष की नयी रचना के साथ
यहाँ आएँगे।
पाठकों का स्वागत है रोज यहाँ आएँ
रचना को पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया को नीचे दिये बक्से में दर्ज कर जाएँ।
नवल हर्ष नवल वर्ष कविता में गाना है
सूचित हो कवियों को उत्सव में आना है
देर नहीं करना है अपनी रचनाओं को ऊपर दिये पते पर ईमेल करना है
या फिर करवाना है

- टीम अनुभूति

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संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग :
कल्पना रामानी