उत्सव नव वर्ष का
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१५. १२. २०१५

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नये साल का जश्न मनाओ

 

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नये साल का जश्न मनाओ
बीत गया उसको बिसराओ

महँगाई तो और बढ़ेगी
मूढ़ उमरिया और चढ़ेगी
धरे हाथ पर हाथ बैठना
अकर्मण्यता और बढ़ेगी।
सोच-सोच ना समय गँवाओ
नये साल का जश्न मनाओ।

अटकलबाजी से क्या मिलना
दाँव खेलने से क्या मिलना
साहस कर के भरो उड़ानें
मान-मनौती से क्याा मिलना
व्यर्थ भाग्य को मत अजमाओ
नये साल का जश्न मनाओ।

समय नहीं रुकता यह सच है
सत्य नहीं मिटता यह सच है
नहीं टलेगी मृत्यु सनातन
सूर्य नहीं थकता यह सच है
कर्म-पथिक बन सत्य सजाओ
नये साल का जश्न मनाओ।

जो समक्ष है उसे सँभालो
सहज मिले बस उसे बसा लो
अवचेतन मन से क्यों विचलित
जीवन है अनमोल बचालो
कुछ संकल्प अभी कर जाओ
नये साल का जश्न मनाओ।

- आकुल
उत्सव नव वर्ष का

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- टीम अनुभूति

पिछले पखवारे
१ दिसंबर २०१५ को प्रकाशित

गीतों में-

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जयराम जय

अंजुमन में-

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मुकुंद कौशल

छंदमुक्त में-

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पंखुरी सिन्हा

कुंडलिया में-

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शालिनी रस्तोगी

पुनर्पाठ में-

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दिव्यनिधि शर्मा

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संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

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