उत्सव नव वर्ष का
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१६. १२. २०१५

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नये साल में

 

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खुशियों की नव-ज्योत जगाएँ, नए साल में।
उत्सव मिलकर आज मनाएँ, नए साल में।
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कल खोया तो, अब पाने को, डटे रहें हम
भूल पुराना नव अपनाएँ, नए साल में।
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काल न रोके कभी रुका, यह सत्य सनातन
साथ उसी के बढ़ते जाएँ, नए साल में।
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हार-जीत कब हाथ हमारे, फिर क्या डरना
अविजय को जय करके आएँ, नए साल में।
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रात उजालों से हारी, हैं सदियाँ साक्षी
तमस काट नव-दीप जलाएँ, नए साल में।
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धार इरादों की तीखी हो, प्रण हों पुख्ता
काँटों में भी राह बनाएँ, नए साल में।
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शुभ कर्मों से हासिल कर सम्मान "कल्पना"
भारत माँ की शान बढ़ाएँ, नए साल में।
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- कल्पना रामानी

उत्सव नव वर्ष का

१५ दिसंबर से १४ जनवरी तक
नव वर्ष का उत्सव मनाएँगे
हर रोज नव वर्ष की
एक नयी रचना के साथ
यहाँ आएँगे।

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नवल हर्ष नवल वर्ष कविता में गाना है
सूचित हो कवियों को
उत्सव में आना है
देर नहीं करना है
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- टीम अनुभूति

उत्सव की अन्य रचनाओं में-

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आकुल

पिछले पखवारे
१ दिसंबर २०१५ को प्रकाशित

गीतों में-
जयराम जय

अंजुमन में-
मुकुंद कौशल

छंदमुक्त में-
पंखुरी सिन्हा

कुंडलिया में-
शालिनी रस्तोगी

पुनर्पाठ में-
दिव्यनिधि शर्मा

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संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

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