111
|
खुशियों की नव-ज्योत जगाएँ, नए साल में।
उत्सव मिलकर आज मनाएँ, नए साल में।
1
कल खोया तो, अब पाने को, डटे रहें हम
भूल पुराना नव अपनाएँ, नए साल में।
1
काल न रोके कभी रुका, यह सत्य सनातन
साथ उसी के बढ़ते जाएँ, नए साल में।
1
हार-जीत कब हाथ हमारे, फिर क्या डरना
अविजय को जय करके आएँ, नए साल में।
1
रात उजालों से हारी, हैं सदियाँ साक्षी
तमस काट नव-दीप जलाएँ, नए साल में।
1
धार इरादों की तीखी हो, प्रण हों पुख्ता
काँटों में भी राह बनाएँ, नए साल में।
1
शुभ कर्मों से हासिल कर सम्मान "कल्पना"
भारत माँ की शान बढ़ाएँ, नए साल में।
1
- कल्पना रामानी |