उत्सव नव वर्ष का
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१८. १२. २०१५

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नवल वर्ष के नव स्वागत में

 

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नवल वर्ष के नव स्वागत में
बिहंसा है मन नव
प्रभात का

गगनांचल में
जाग रहा है
उम्मीदों का स्वप्निल सूरज
बीत गये पल बिगत रात के
नवल भाव का कर लें
स्वागत

धरा पल्लवित पुष्पित कलियाँ
मुस्काया नभ आज
प्रात का

पलकों पर
ठहरे आँसू कण
स्मृतियों को आज विदा दें
भर लायें अंचल में स्वर्णिम
नव विहान की
नव उम्मीदें

स्वर्ण किरण सा चमके जीवन
कभी न भय हो किसी
बात का

- पद्मा मिश्रा

उत्सव नव वर्ष का

१५ दिसंबर से १४ जनवरी तक
नव वर्ष का उत्सव मनाएँगे
हर रोज नव वर्ष की
एक नयी रचना के साथ
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नवल हर्ष नवल वर्ष कविता में गाना है
सूचित हो कवियों को
उत्सव में आना है
देर नहीं करना है
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या फिर करवाना है
- टीम अनुभूति

उत्सव की अन्य रचनाओं में-

गीतों में-

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आकुल

अंजुमन में-

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कल्पना रामानी

दोहों में-

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रघुविन्द्र यादव

पिछले पखवारे
१ दिसंबर २०१५ को प्रकाशित

जयराम जय  मुकुंद कौशल  पंखुरी सिन्हाशालिनी रस्तोगी, और दिव्यनिधि शर्मा की रचनाएँ

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संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग :
कल्पना रामानी