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आओ हे नव
वर्ष |
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आने की आहट सुनी, मन में छाया हर्ष
स्वागत को तैयार हैं, आओ हे नव वर्ष।
उम्मीदों के पर खुले, नए साल की भोर
सुखद पलों की आस में, मन उड़ता नभ छोर।
स्मृति मोती कुछ चुनें, समय गया जो बीत
नवल वक्त के साथ ही, कदम बढ़ें ये रीत।
भूल हुई जो विगत में, हो न कभी ठहराव
मन-मुटाव को त्याग कर, करें मधुर बर्ताव।
विश्व प्रेम के भाव का, बीजारोपण अंक
होगा तब संभव यहाँ, नष्ट सभी आतंक।
सुख व शांति की आस में, बीत गया जो वर्ष
सभी जनों को अब मिले, जीवन में उत्कर्ष।
हाथ बढ़ाएँ हर्ष से, आपस में दुख बाँट
ख़ुशी मिले सबको सदा, पथ के कंटक छाँट।
सुख-दुख तो साथी सदा, रुके न उन्नति राह
नए साल संकल्प लें, खुशियाँ जुड़ें अथाह।
- ज्योतिर्मयी पंत |
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उत्सव नव
वर्ष का
गीतों में-
दोहों में-
अंजुमन में-
छंदमुक्त में-
प्रिय
मित्रो, १५ दिसंबर
से १४ जनवरी तक हम
नव वर्ष का उत्सव मनाएँगे
हर रोज नव वर्ष की
एक नयी रचना के साथ
यहाँ आएँगे।
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नवल हर्ष
नवल वर्ष कविता में गाना है
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ईमेल करना है
या फिर करवाना है
- टीम
अनुभूति
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