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प्रथम जनवरी भोर को, धर कर नूतन रूप
आते हो नववर्ष तुम, स्वागत मध्य अनूप।आते
हो तय दिवस पर, तय दिन ही प्रस्थान
जन्म मृत्यु जिसको पता, सचमुच है बलवान
मेरे दाता समय के, विनती पर कर जोड़
रहें संग आनंद क्षण, दुख पल देना छोड़
दिन दिन को तुम बाँध कर, गढ़ना ऐसा साल
हर क्षण जिसमें हो भरी, कलरव सी लय ताल
बेघर जो फुटपाथ पर, वर्षों पड़े निराश
शायद अबकी छत मिले, तुम से जागी आस
पड़े किसी भी माह नहिं, शीत, ग्रीष्म की मार
बाढ़, सुनामी प्रलय से, बचा रहे संसार
नए वर्ष बहते रहें, नेक भाव सुविचार
प्रेम सुधा सद्भाव की, मधुर मधुर रसधार
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- ओम प्रकाश नौटियाल |
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उतरेगा नव वर्ष जब, सब होंगे खुशहाल
क्या होगा यह स्वप्न सच, मन कर रहा सवाल
नया वर्ष देगा नया , भारत को आयाम
रोटी सबको पेटभर, और सभी को काम
बनें नहीं इस वर्ष शिशु, घोर काल का ग्रास
उन्हें न अब सहना पड़े, दुःख प्रदूषण त्रास
आयेंगी फिर गर्मियाँ, फिर होगी बरसात
नए वर्ष फिर चाँदनी, चमका देगी रात
अब भी मन में जोश है, अब भी मन में चाह
नया वर्ष सच की हमें, दिखलाएगा राह
- अशोक कुमार रक्ताले |