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नया साल
हर साल आता है
हर साल की तरह
नव नव रंगीन कार्डों के साथ
शाब्दिक शुभकामनाएँ लिये
औपचारिकताओं से भरा
सूचना क्रान्ति के दौर में
काग़ज़ रंग छपाई अनावश्यक
असली नकली दोस्तों को
सगे सौतेले रिश्तेदारों को
परिचित बेगानों को
अपरिचित अपनों को
एक क्लिक से भेजो ईमेल
न रंग लगे न फिटकरी
रंग चोखा होय
वे क्या करें
जो न सूचना क्रान्ति को जानें
न नये साल की
आहट पहचानें
वैश्वीकरण से फैले
इस नये साल की आहट
उन्हें मिलती है देर से
खेत खलिहान कारख़ाने से
लौट कर
उन्हें खबर हो न हो
नया साल
तो आएगा ही हर साल
हर साल की तरह
पर आप सभी बुद्धिजीवी हैं
पड़ौसी भी
हैप्पी न्यू इयर टु यू
- सुधेश
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ठिठुरन भरी सर्दियों की रातें
तवे से उतरे धुएँ दार पराँठे
गुड़ और मक्खन की डलियाँ
चटर पटर अखरोट
चिलगोजे मूँगफलियाँ
बाल न धोने का
हर दिन का नया बहाना
सारा दिन धूप के साथ
सरकते जाना
सरसों के साग की तैयारी
गाजर के हलवे और
पिन्नियों पर मारामारी
फेरी वालों से अमरुद,
बेरों को खरीदना
हथेली पर नमक रख
टमाटर को चूसना
चूल्हे के इर्द गिर्द
परिवार का जुट जाना
गरम गरम रोटी का
पकते ही चुक से जाना
ठन्डे पाँवों की
दादी के पैरों से रगड़न
मुँह से सिगरेट का अभिनय
और पसलियों तक सिहरन
जो बन्द गाड़ियों में
धूम करने होटल तक जाएँ
अरे नया साल उनका,
हमको तो सिर्फ
टीवी में भाए
- अंजुलिका चावला |