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उम्दा
उम्दा!
इस शब्दावली में
त्रुटि, खामी, कमी, खालीपन
जैसे पैबंदनुमा शब्द
न ही हों
तो बेहतर है
क्योंकि
ये सब
तेरी संपूर्णता को
कम करते हैं
पर इंसान की फितरत ऐसी है कि
किसी न किसी बहाने
अपने आप को समझाने में
यह कह कर खुद को
आश्वस्त कर लेता है कि
उसकी अहमीयत में
लोगों की बनिस्बत
खामियाँ कम हैं।
१८ फरवरी २००८
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